Saturday, August 5, 2017

दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया

दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया
मेरा पता पूछ कर कहीं और चला गया
आंखों का अश्कों का न दिल का कसूर था
ख़त में लिखा था जो वो ही पढ़ा गया
खुद्दार शख़्स है वो अपनी जमात का
लोगों में न जाने उसे क्या क्या कहा गया
तुम देर से आये हो तन्हा हो इसलिए
इस दर से हसरतों का मेला चला गया।
..देवेंद्र प्रताप वर्मा”विंनीत”

तुम जो मिले तो

तुम जो मिले तो तुझमें ख़ुद को  पाने की इक कोशिश की है।  भूल गया मैं ख़ुद को जाने  क्या पाने की ख़्वाहिश की है।  मेरी खुशी को मैं तरसूँ  पर तेरे...