Tuesday, June 19, 2018

इक मेरे रहने से क्या होता है

इक मेरे रहने से क्या होता है
तेरे बिन खाली मकां होता है । 

जो कह न सके हिम्मत से सच
मेरी नजर में वो बेजुबां होता है । 

जंग है जुर्म के वहशी दरिंदो से
देखें साथ में कौन खड़ा होता है । 

परिंदों का पता सुबह पूछती है
मेरे होठों पे ताला पड़ा होता है।  

सुना है शहर भी कभी गांव था
अब जिक्र नही उसका  होता है। 

तुम गए मेरा "मैं" भी चला गया
जीने का नही हौसला होता है ।   

दीवार के पार फूल भी खिले हैं
नफ़रत-ए-नजर का पर्दा होता है ।।

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