तुम तो होना वहां
है तेरे नाम का एक बिछौना वहां
मै रहूँ न रहूँ तुम तो होना वहां।
मै रहूँ न रहूँ तुम तो होना वहां।
वो महल था कभी, खंडहर आज है
उसपे हंसना नही तुम तो रोना वहां।
उसपे हंसना नही तुम तो रोना वहां।
कल तू रूठकर अपनी माँ से गया
देखना रखा है, तेरा खिलौना वहां।
देखना रखा है, तेरा खिलौना वहां।
ग़म के कांटे, कहीं नफरतों के शज़र
प्यार के बीज ही तुम तो बोना वहां।
प्यार के बीज ही तुम तो बोना वहां।
मै गुनहगार हूँ,वो गुनाहों का दर
बात उठे, होश न तुम तो खोना वहां।
बात उठे, होश न तुम तो खोना वहां।
है सियासत वही और वही लोग हैं
बेफिक्र होके न तुम तो सोना वहां।
बेफिक्र होके न तुम तो सोना वहां।
………….देवेन्द्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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