चले जाइएगा
मुस्कुराने का मौका दिए जाइएगा
जरा बैठिये फिर चले जाइएगा।
जरा बैठिये फिर चले जाइएगा।
कहाँ चोट खानी पड़े जिंदगी में
दुआओं का मरहम लिए जाइएगा।
दुआओं का मरहम लिए जाइएगा।
हादसों की कहानी सड़क कह रही
अपनी रफ़्तार कम किये जाइएगा।
अपनी रफ़्तार कम किये जाइएगा।
जलती हैं सूखे दरख़्तों की शाखें
रहम का पानी पिए जाइएगा ।
रहम का पानी पिए जाइएगा ।
बाकी रहे ना बहस का सबब
फैसला अपना दिए जाइएगा।
फैसला अपना दिए जाइएगा।
न जाने मयस्सर हो मुलाकात कब
वक़्ते-रुख्सत लगाकर गले जाइएगा।
वक़्ते-रुख्सत लगाकर गले जाइएगा।
………………..देवेन्द्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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